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राष्ट्रीय गान
जन – गण – मन अधिनायक जय हे
भारत – भाग्य – विधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष माँगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन – गण मंगलदायक जय हे,
भारत – भाग्य – विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय, जय हे।।
कॉलेज गीत
धन्य हो ज्ञानालय जेवियर – 2
तेरे आँगन में हम फूले-फले
तेरी जय हो, तेरा यश हो, तेरा मान हो।
गरिमा तेरे नाम की चहुँ दिशि में छाई
प्रूस्ट, सोकार्ट, साल्घना जैसे संतों की है अगुआई
ज्ञान का सागर, साधना की प्रतिमूर्ति जेवियर तू है श्रेष्ठ
सब का आशादीप, सबकी चाहत कि तू है सर्वोत्कृष्ट।
झारखण्ड की महिमा-तथा है यहाँ की शान
अनुशासन, लगन, नियमित परिश्रम का यहाँ पे मान
येसु संघी का अमृतमन्त्र श्रेष्ठ समर्पण-सेवा
कर रहा यह लगातार जन जन की सेवा
यह बिरसा की धरती न्यारी
हुए यहीं पर शेख भिखारी
इस परिसर में फादर बुल्के
रहे सदा हिन्दी अनुरागी
आएं हम सब करें वन्दना
धन्य हो ज्ञानालय जेवियर – 2
संत जेवियर का प्रसाद यह
धर्मनिष्ठ सात्विक समाज यह
झारखण्ड गिरिवन प्रान्तर में
करमा सरहुल क्रिसमस होली
महुए का आँगन हो सुरभित
धन्य हो ज्ञानालय जेवियर – 2